पंख लगा के

पंख लगा के उड़ नहीं सकती, मेरी चिट्ठी

अलफ़ाज़ और अहसास… दोनों भारी हैं इसमें….

मेरा ईमान कहता है

मेरा ईमान कहता है के ज़रूर आएगा

इन अंधेरो का चीर के ज़िगर नूर आएगा

मुझको मासूमो के कातिलो को यही कहना है

तू है फिरोन अगर तो मूसा भी ज़रूर आएगा|