बचपन बड़ा होकर

बचपन —
बड़ा होकर पायलट बनूँगा, डॉक्टर
बनूँगा या इंजीनियर बनूँगा….
जवानी —
“अरे भाई वो चपरासी वाला फॉर्म
निकला की नही अभी तक

खाली खाली सा

मैदान मोहल्ले का,
जाने कब से खाली खाली सा है

कोई मोबाइल शायद
बच्चों की गेंद चुराकर ले गया

दोस्ती कीमती है

लेकिन दोस्ती कीमती है,

केवल मुश्किल में नहीं ,

बल्कि जीवन के सुखद क्षणों में भी,

और धन्यवाद है उस उदार व्यवस्था को कि जीवन का बड़ा हिस्सा सुखद होता है.