खोल बैठे हैं दुकान
हुस्न
फरोशी की
कुछ लोग इस बाज़ार को
नाम इश्क़ का देते हें
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जानते हुए भी
अकसर हकीकत जानते हुए भी,
सहारा-ए-फसाना लिये जा रहे हैं …!
बगावत तो कर
तु जमाने से बगावत तो कर,
सारी दुनिया से लड़ने के हमारे ईरादे है,,
होगी तू हसीन राजकुमारी तो क्या हुआ हम भी बिगडे शहजादे है.
ताकत पे सियासत
ताकत पे सियासत की ना गुमान कीजिये,
इन्सान हैं इन्सान को इन्सान समझिये।
यूँ पेश आते हो मनो नफरत हो प्यार में,
मीठे बोल न निकले क्यूँ जुबां की कटार से।
खुद जख्मी हो गये हो अपने ही कटार
से,
सच न छुपा पाओगे अपने इंकार से।
आँखें भुला के दिल के आईने में झाकिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान ही समझिये।
कैसी ख़ुशी है आप को ऐसे आतंक से ?
कैसा सकुन बहते हुए खून के रंग से
तलवारों खंजरों में क्यूँ किया सिंगार है,
आप भी दुश्मन हैं आपके इस जंग में।
खुद से न सही अपने आप से डरिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान समझिये।
खुद का शुक्र है आप भी इन्सान हैं,
इंसानियत से न जाने क्यूँ अनजान हैं।
शुक्र कीजिये की खुदा मेहरबान है,
वरना आप कौन ? क्या पहचान है।
सच यही है, अब तो ये जान लीजिये,
इन्सान हो इन्सान को इन्सान समझिये।
सारी दुनिया लगी है
याददाश्त की दवा बताने में सारी दुनिया लगी है,
तुमसे बन सके तो तुम हमें भूलने की दवा बता दो..
इंतज़ार रहता है
इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा;
यादें काटती हैं ले-ले के नाम तेरा;
मुद्दत से बैठे हैं इंतज़ार में तेरे…
कि आज आयेगा कोई पैगाम तेरा…
तू तो नफ़रत
तू तो नफ़रत भी न कर पाएगा उस शिद्दत के साथ,
जिस बला का प्यार तुझसे बे-ख़बर मैंने किया |
इतने क़रीब ना था
मेरे घर से मयखाना इतने क़रीब ना था…!!!
दोस्तों…
कुछ लोग दूर होते गये और वो पास आ गया…!!!
आइना है ये जिंदगी
आइना है ये जिंदगी मेरे दोस्त !
तू मुस्कुरा जिंदगी भी मुस्कुरा देगी|
Kisiko Bhi Hasati Hai
Duriyaa Aasani Se Mitati Hai “SHARAAB”,
Majburiyon Ko Nashe Me Nachati Hai “SHARAAB”….
Aansuwo Ko Mila De Tu Apne Har Ek Jaam ME,
Fir Dekh Kaise Yaadon Ko Aur Kareeb Lati Hai “SHARAAB”…..
Thake Chuke Hai Jo Is Duniya Ke Sitamo Se,
Unhe Do Pal Ki Rahat Dilati Hai “SHARAAB”…..
Pankh Laga Ke Aasmaan Me Ud Jaate Hai Jo Panchi,
Do Ghoot Me Unhe Baho Me La Sakti Hai “SHARAAB”…..
Jiss Ka Hath Sari Duniya Chod Deti Hai,
Unke Hatho Me Aksar Paayi Jati Hai “SHARAAB”….
Kabhi Bhi Apne Gumon Ko Bhulna Ho To Keh Dena,
Kitne Bhi Bade Gum Me Kisiko Bhi Hasati Hai “SHARAAB”