सज़ा ए-मौत

कुछ लोग सिखाते हैं मुझे मुहोब्बत के क़ायदे-कानून,
..
नहीं जानते वो इस गुनाह में हम सज़ा ए-मौत के मुज़रिम हैं..!!

घर न था

उस के लिये महल भी थे क़िलए भी थे मगर
सुल्तान के नसीब में कोई भी घर न था

हीरे बन गये

जिने था हीरो से प्यार उनको हीरे मिल गये,
फकीरा जिने था ईश्वर से प्यार वो खुद हीरे बन गये

हारने की आदत

कमबख्त इस दिल को हारने की आदत हो गयी है!
वरना हमने जहाँ भी दिमाग लगाया फ़तेह ही पाई है!!