चलो आज दफन करते हैं थोड़ी सी नाराजगी
और निकालते हैं मोहब्बत साथ वाली कब्र से
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चलो आज दफन करते हैं थोड़ी सी नाराजगी
और निकालते हैं मोहब्बत साथ वाली कब्र से
ओस की बूंदे है, आंख में नमी है, ना उपर आसमां है ना नीचे जमीन है ये कैसा मोड है जिन्दगी का जो लोग खास है उन्की की कमी हैं
“नाम” और “बदनाम”
में क्या फर्क है ?
“नाम” खुद कमाना पड़ता है ,
और “बदनामी” लोग आपको
कमा के देते हैं!
बहुत जोर लगाने पर भी एक बात हम समझ नहीं पाते है,
जब लोगों के पास हमारे लिए वक्त नहीं है,तो वो हमसे रिश्ता क्यों बनाते है…
अर्ज़ किया हैं…
बड़ा इतराते फिरते थे वह अपनें हुस्न-ए-रुखसार पर
मायूस बैठे हैं जबसे देखी हैं अपनी तस्वीर आधार कार्ड पर
खत्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू..
ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही..
भाग्य के दरवाजे पर
सर पीटने से बेहतर है,
कर्मो का तूफ़ान पैदा करे
सारे दरवाजे खुल जायेंगे.!
परिस्थितिया जब विपरीत
होती है,
तब
“प्रभाव और पैसा”
नहीं
“स्वभाव और सम्बंध” काम आते है।
क्या होता है रिश्तों का वजन..
उन कन्धों से पूछो, जिन्होंने अर्थी उठाई है.
उनके खूबसूरत चेहरे से,
नकाब क्या उतरा…
जमाने भर की नीयत,,
बे-नकाब हो गयी….
रात कि तन्हाई में अकेले थे हम, दर्द कि महफ़िलो में रो रहे थे हम,
आप भले ही हमारे कुछ नहीं लगते,
फिर भी आपके बिना अधूरे लग रहे हे हम.