थक जाते है, वो मेरे पास आतै आते
शायद अब मोहब्बत
बुढी हो गई है.
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उम्र में ओहदे
उम्र में ओहदे में कौन कितना बड़ा है फर्क नही पड़ता…
लहजे में कौन कितना झुकता है फर्क ये पड़ता है….
उनके मोहल्ले से
उनके मोहल्ले से धुआं उठ रहा है..
..
लगता है मेरी यादें मिटा रहे हैं वो..!.!
दरवाज़े बड़े करवा लिए
दरवाज़े बड़े करवा लिए हैं अब हमने भी अपने आशियानेके…
क्योंकि कुछ दोस्तों का कद बड़ा हो गया है चार पैसे कमाकर..!!
हमारे जमाने में
हमारे जमाने में दो चोटी बनाया करती थीं लड़कियाँ
पर, बड़ी मुश्किल से नज़र आया करती थीं लड़कियाँ
आँखों में काजल और माथे पर बिंदी हो न हो मगर
गालों पर पावडर बहुत लगाया करती थीं लड़कियाँ
किसी नसीब वाले के लिए ही टूटता था उनका मौन
जब बोलतीं, तो बस फूल बरसाया करती थीं लड़कियाँ
उन दिनों कील – मुहासे नहीं फकत रोशन चेहरे थे
अल सुबह से काम में लग जाया करती थीं लड़कियाँ
ख्वाब तो उनके तब भी रंग-बिरंगे-सुनहरे ही थे
जाने क्या सोचकर गुनगुनाया करती थीं लड़कियाँ
दिल में क्या है
दिल में क्या है कभी ये पता भी करो,
साथ अपने कभी तो रहा भी करो.
है ये बीमार मौसम तो इसके लिए,
कुछ दवा भी करो कुछ दुआ भी करो.
जैसे रोते हो तुम अपनी तन्हाई में,
वैसे खुल कर कभी तो हँसा भी करो.
अब तो रिश्ते निभाने की ये शर्त है,
तुम वफ़ा के लिए कुछ वफ़ा भी करो.
या तो घर पे न रक्खो कोई आईना ,
वर्ना इसके लिए कुछ सजा भी करो.
ये सफ़र तो कटेगा फ़क़त इस तरह,
कुछ कहा भी करो कुछ सुना भी करो.
जिसकी तख्ती लगा ली है दीवार पर,
नाम उसका कभी तो लिया भी करो..
पूर्वजो का संस्कार
झूठ हमारा नहीं हमारे पूर्वजो का संस्कार है
जनता, नेता, अभिनेता सबको यह स्वीकार है !
भेड़िए सहमे हैं
भेड़िए सहमे हैं, कोई वारिस
शेरनी ने जना है बरसों बाद
आंखो से उतर कर
आंखो से उतर कर कब दिल में बस गये
हम देखते ही रहे और बस उनके हो गये…
बात ये नही है
बात ये नही है कि तेरेबिना जी नही सकते…बात ये है कि तेरे बिना जीना नही चाहते…