चांदनी के भरोसें

रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना,
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया…

रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ,
तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया…

कहने को मैं

कहने को मैं अकेला हूं,पर हम चार है,
एक मैं, मेरी परछाई, मेरी तन्हाई और उसका एहसास