छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!
कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!
जिसे शिद्दत से चाहो , वो मुद्दत से मिलता है ,
बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई शिद्दत सै चाहने वाला
चुना था बाग से सब से हसीं फूल समझ कर तुझे….
मालूम न था तेरा खरीदार कोई और होगा
छलकता है कुछ इन आँखों से रोज़..
कुछ प्यार के कतऱे होते है ..कुछ दर्द़ के लम्हें|
जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!
अब न ख्व़ाबों से, ख़िलौनों से, बहल पाऊँगा,
वक़्त गुम हो गया, मुझसे मेरा बचपन लेकर
बरकरार रख तू अपना हौंसला हर कदम पर
पत्थरों पर अभी किस्मत आजमाना बाकी है..
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती.
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर,
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया|
तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगा तुमको मगर,
शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..