कुछ तहखानों में

कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता…
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें…
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…

जब शहर के लोग

जब शहर के लोग न रास्ता दे क्यों वन में ना मैं जा कर ठहरु…

दीवानो की सी न बात करे तो और करे दीवाना क्या…