खुल सकती हैं

खुल सकती हैं रुमाल की गांठें बस ज़रा से जतन से मगर,

लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं.. !!!

अपना क्या है

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ

जिंदगी पर बस

जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं….

बहुत मजबूत रिश्ते थे मेरे….
पर बहुत कमजोर लोगों से…..

तुम शराफत को

तुम शराफत को बाजार मे न लाया करो ,

ये वो सिक्का है जो कभी बाजार मे चला ही नही ।
अक्सर दिमाग वालों ने दिलवालो का इस्तेमाल ही किया है ।