आईना देख के तसल्ली
हुई
कोई तो है इस घर मे
जो जानता है हमे
किसी को न पाने से ज़िंदगी
खत्म नहीं हो जाती,
पर किसी को पा के खो देने के बाद कुछ बाकी
नहीं बचता
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आईना देख के तसल्ली
हुई
कोई तो है इस घर मे
जो जानता है हमे
किसी को न पाने से ज़िंदगी
खत्म नहीं हो जाती,
पर किसी को पा के खो देने के बाद कुछ बाकी
नहीं बचता
आज तोहफा लाने निकला था शहर में तेरे लिए,
कम्बखत खुद से सस्ता कुछ ना मिला।।
बहुत अमीर होती है ये शराब
की बोतलें…
पैसा चाहे जो भी लग जाए पर सारे ग़म ख़रीद
लेतीं है…
इतनी दूरियां ना बढ़ाओ थोड़ा सा याद ही कर लिया करो, कहीं ऐसा ना हो कि तुम-बिन जीने की आदत सी हो जाए…
कसम की कोई ज़रुरत नहीं मुहब्बत को
तुझे कसम है, खुदा को भी दरमियां रखना
मैंने भी बदल दिये ज़िन्दगी के उसूल,
अब जो याद करेगा…,सिर्फ वो ही याद रहेगा…!!
इश्क कर लीजिये बेइंतेहा किताबों से…
एक ये ही अपनी बात पलटा नहीं करतीं…!!!
कहने को ही मैं अकेला हूं.. पर हम चार
है.. एक मैं.. मेरी परछाई..
मेरी तन्हाई.. और तेरा एहसास..”
तैरना तो आता था हमे मोहब्बत के समंदर मे लेकिन…
जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा…
फिर से सूरज लहूलुहान समंदर में गिर पड़ा,
दिन का गुरूर टूट गया और फिर से शाम हो गई .