ज़हर पिला दो

आज इतना ज़हर पिला दो की मेरी साँस ही रुक जाये,
सुना है साँस रुकने पर बेवफा भी देखने आती है ।

मुमकिन नहीं की

कोई तो लिखता होगा इन कागजों और पत्थरों का भी नसीब ।

वरना मुमकिन नहीं की कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान बन जाए ।

और कोई कागज रद्दी और कोई कागज गीता और कुरान बन जाए ।।