मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ

मोम के पास कभी आग को लाकर देखूँ
सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ
 
कभी चुपके से चला आऊँ तेरी खिलवत में
और तुझे तेरी निगाहों से बचा कर देखूँ
 
मैने देखा है ज़माने को शराबें पी कर
दम निकल जाये अगर होश में आकर देखूँ
 
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ
 
तेरे बारे में सुना ये है के तू सूरज है
मैं ज़रा देर तेरे साये में आ कर देखूँ
 
याद आता है के पहले भी कई बार यूं ही
मैने सोचा था के मैं तुझको भुला कर देखूँ

 

ईद में सैंवई

ईद में सैंवई, दिवाली में गुजिये, क्रिसमस में केक
अपनी जुबां को मैंने,हर मज़हब की तालीम दी है..!!

मौका दे दे

गालिब ने भी क्या खूब लिखा है…

दोस्तों के साथ जी लेने का
मौका दे दे ऐ खुदा…
तेरे साथ तो मरने के बाद भी
रह लेंगें ।

मुश्किलें तमाम है

जिन्दगी में मुश्किलें तमाम है,
फिर भी इन होठों पे मुस्कान है,
जीना जब हर हाल में है तो,
फिर मुस्कुराकर जीने में क्या नुकसान है !!