यू गलत भी

यू गलत भी नहीं होती ,चेहरे की तासीर साहिब

लोग बैसे भी नहीं होते,जैसे नजर आते है

सब सो गये

सब सो गये अपने हाले दिल बयां करके

अफसोस की मेरा कोई नहीं जो

मुझसे कहे तुम क्यों जाग रहे हो..

एहसास होता हैं

चलती रेल में खिड़की के पास बैठकर एहसास होता हैं,
मानों जो जितना करीब हैं,
वो तेज़ी से दूर जा रहे है..!!!

अभी तो बहुत दूर

अभी तो बहुत दूर तक जाना है कई रिश्तों को भुलाना है
मेरी मंजिल है बहुत दूर क्योंकि मुझे तो अलग पहचान बनाना है ।