कुछ अलग ही

कुछ अलग ही करना है तो वफा करो दोस्त,

वरना मजबूरी का नाम ले कर बेवफाई तो सभी करते है !

दिल के उजले

दिल के उजले कागज़ पर हम कैसा गीत लिखें
बोलो तुमको ग़ैर लिखें या अपना मीत लिखें

नीले अम्बर की अंगनाई में तारों के फूल
मेरे प्यासे होटों पर है अंगारों के फूल
इन फूलों को आख़िर अपनी हार या जीत लिखें

कोई पुराना सपना दे दो और कुछ मीठे बोल
लेकर हम निकले हैं अपनी आखों के कश्कोल
हम बंजारे, प्रीत के मारे, क्या संगीत लिखें

शाम खड़ी है एक चमेली के प्याले में शबनम
जमुना जी के ऊंगली पकड़े खेल रहा है मधुबन
ऐसे में गंगा जल से राधा की प्रीत

बुझने लगी हो

बुझने लगी हो आंखे तेरी, चाहे थमती हो रफ्तार
उखड़ रही हो सांसे तेरी, दिल करता हो चित्कार
दोष विधाता को ना देना, मन मे रखना तू ये आस
“रण विजयी” बनता वही, जिसके पास हो “आत्मविश्वास”