जिंदगी मे बस इतना कमाओ की.. जम़ीन पर बैठो तो..
लोग उसे आपका बडप्पन कहें.. औकात नहीं…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिंदगी मे बस इतना कमाओ की.. जम़ीन पर बैठो तो..
लोग उसे आपका बडप्पन कहें.. औकात नहीं…..
ख़त जो लिखा मैनें ईमान के पते पर,
डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते…
अपनी हालत का खुद को एहसास नहीं है मुझको….
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं…..!!!!
नाराज होकर छोड़कर जाने
वाला वापास आ सकता है
लेकिन मुस्करा कर छोड़कर
जाने वाला वापस नही आता |
वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब,,
कि इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें..
तेरी सूरत को जब से देखा है,
लोग मेरी आंखो पे मरते है..!!
आज एक दुश्मन ने धीरे से कान में कहा,
यार इतना मत मुस्कुराया कर बहोत जलन होती है !!
जिंदगी क्या हैं मत पूछो दोस्तों!
सवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा हैं !
रोज़ आ जाते हो बिना इत्तेला दिए ख्वाबों में….
कोई देख लेगा तो हम क्या जवाब देंगे……
सख़्त हाथों से भी….
छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ….
रिश्ते ज़ोर से नहीं….
तमीज़ से थामे जाते हैं..