हल निकलेगा आज

कोशिश कर, हल निकलेगा
आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन के तीर सा निशाना साध,
जमीन से भी जल निकलेगा ।

मेहनत कर, पौधो को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा ।

ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा ।

जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को,
समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा ।

कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा-थमा सा, वो चल निकलेगा ।

मंजिल भी मिलेगी

मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों
के हिस्से में ही आती हैं…!!
क्यूंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन
तरीके से अंजाम देने की ताकत
रखते हैं..!!

“रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा;

प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..!
थक कर ना बैठ ए मंजिल के
मुसाफ़िर;
मंजिल भी मिलेगी और
जीने का मजा भी आयेगा…!!”

परवाह मत कीजिये

रास्ता ‘खूबसूरत’ है
तो

पता कीजिये..

किस ‘मंज़िल’ की तरफ जाता

है!

लेकिन,

अगर ‘मंज़िल’ खूबसूरत हो तो

कभी रास्ते की ‘परवाह’

मत कीजिये |

मेरे जख्मों को

आतिश ए राख हूँ बेशक बुझा बुझा सा
लगता हूँ मैं….
मेरे जख्मों को हवा मत देना जमाना फूंक
सकता हूँ मैं…

झूठ बोलते हो

जाने कितने झूले थे फाँसी पर, कितनो ने गोली खायी

थी
क्यों झूठ बोलते हो साहब , की चरखे से आजादी आई थी