चल आ तेरे पैरो पर

चल आ
तेरे पैरो पर मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर.

कुछ चोटे तुझे भी तो आई ही होगी,
मेरे सपनो को ठोकर मारते मारते !

बस ये कहकर

बस ये कहकर टाँके लगा दिये उस हकीम ने..कि
जो अंदर बिखरा है उसे खुदा भी नहीं समेट सकता..!!