शायरी से इस्तीफा दे रहा हूँ साहब…..
किसी बेवफा ने फिर वफ़ा का वादा किया है ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शायरी से इस्तीफा दे रहा हूँ साहब…..
किसी बेवफा ने फिर वफ़ा का वादा किया है ।
तुझे याद कर लूँ तो मिल जाती है हर दर्द से राहत …
लोग यूँ ही हल्ला मचाते है कि दवाइयाँ महँगी हैं …..
जोड़ी भी क्या खूब बनाई उस खुदा ने,
तु मासूम सी लड़की और मैं शायर बदनाम.……
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है,
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की………
बडी देर कर दी मेरा दिल तोडने मे,
न जाने कितने शायर आगे चले गये……
एक छोटे से सवाल पे इतनी ख़ामोशी…
…
सिर्फ इतना ही तो पूछा है..”याद आती है मेरी ???
तहज़ीब, सलीका, अदब, हया, ये तुम जानो,हम तो आशिक लोग हैं बस इश्क किया करते है…!
मोहब्बत थी इसलिए जाने दिया,
ज़िद होती तो बाहों में होती…
बस कुछ ऐसी ही हो गयी हैं जिंदगी मेरी
ना बया कर सके ना फना कर सके
दिल भी एक जिद पे अड़ा है किसी बच्चे कि तरह…
या तो सब कुछ ही उसे चाहिए या कुछ भी नही…