” दोस्ती ”
सभी करते है मगर …
कुछ लोग
निभाते है ..
कुछ लोग आझमाते है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
” दोस्ती ”
सभी करते है मगर …
कुछ लोग
निभाते है ..
कुछ लोग आझमाते है
मेरी बेचैन उमंगो को बहलाकर चले जाना,
हम तुमको ना रोकेंगे बस आकर चले जाना…
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते..,
या तो लोहे की तरह जोड़ दे,या फिर धागे की
तरह तोड़ दे..!!
हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा,
पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया…!
एक बार और देखकर आज़ाद करदे मुझे…
…
के आज भी तेरी
पहली नज़र में कैद हूँ मैं ।
कुछ ख्वाब देखे,फिर ख्वाहिश बनी,अब यादें है…
किसी उदास मौसम में,
मेरी आँखों पे वो हाथ रख दे
अपना,
और हसती हुई कह दे,
पहचान लो तो हम तुम्हारे
ना पहचानो तो तुम
हुमारे..
खूबसूरती से धोका, न खाइये जनाब,
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो मांगती तो खून ही है….!!
मैं वहाँ जाकर भी मांग लूंगा तुझे,,,
कोई
बताये तो फैसले कुदरत के कहाँ होते है..
सुकून से जीने का तरीका, ये भी है
लोगों की परवाह छोड़ खुदगर्ज़ बन जा..