तफ़सील से तफ्तीश जब हुई मेरी गुमशुदगी की,
मैं टुकड़ा टुकड़ा बरामद हुई उनके ख्यालों में|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तफ़सील से तफ्तीश जब हुई मेरी गुमशुदगी की,
मैं टुकड़ा टुकड़ा बरामद हुई उनके ख्यालों में|
कहा सिर्फ उस ने इतना के ख़ामोशी है मुझे बहुत पसंद इतना सुनना था के हम ने अपनी धडकनें भी रोक ली|
मुझे समझाया न करो अब तो हो चुकी,
मोहब्बत मशवरा होती तो तुमसे पूछकर करते|
कुछ अधूरे एहसासों ने ही तो थामा है हर पल,
चाँद तो पूरा होके भी रात का न हुआ……
हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में…
कुछ दर्द चले जाते है सिर्फ मुस्कुराने में…!!!
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब,
जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
गुजर जाऊंगा यूँ ही किसी लम्हे की तरह,
और तुम….. औरो में ही उलझे रहना..!!
उसने भी तो खोया है मुझे . . . .
अपना नुकसान एक जैसा है . . . .
तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है…
मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !
भीड़ मे हर वक्त मुस्कुराते हुए चेहरे
हद से ज्यादा झुठ बोलते है !!