जिस घर में

जिस घर में प्रेम होता हैं
उस घर में
सफलता और धन चलकर
आते है
अपना ग्रुप भी एक घर हैं, प्रेम बनाये रखे|

फरेबी भी हूँ

फरेबी भी हूँ,ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते करते…

दुआ कोन सी

दुआ कोन सी थी हमें याद नहीं,
बस इतना याद है दो हथेलियाँ जुड़ी थी एक तेरी थी एक मेरी थी..

न तेरी अदा

न तेरी अदा समझ में आती है ना आदत ऐ ज़िन्दगी,
तू हर रोज़ नयी सी,हम हर-रोज़ वही उलझे से..