हर रोज के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा,
चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है….!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हर रोज के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा,
चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है….!!!
ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं !
सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !!
.
पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में,
बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !!
.
नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है,
जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं !!
.
दिखाते ही नहीं जो मुद्दतों तिशनालबी अपनी,
सुबू के सामने आके वो प्यासे टूट जाते हैं !!
.
समंदर से मोहब्बत का यही एहसास सीखा है,
लहर आवाज़ देती है किनारे टूट जाते हैं !!
.
यही एक आखिरी सच है जो हर रिश्ते पे चस्पा है,
ज़रुरत के समय अक्सर भरोसे टूट जाते हैं
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते
या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे .!
हमने मुवाबजे की अर्ज़ी डाली है साहब..
उनकी याद की बारिश ने खूब तबाह किया भीतर तक ।।
हर किसी के नाम पर धड़कन नहीं रूकती है
धड़कन के भी अपने उसूल होते है………!!
मुद्तों के बाद उसको किसी के साथ खुश देखा तो एहसास हुआ …
काश की उसको बहुत पहले हे छोड़ दिया होता ..
पाँव सूख हुए पत्तों पर अदब से रखना,
माँगी थी धूप में तुमने पनाह इनसे कभी…
ईमान बिकता हे ओरते बिकती हे
बड़ी अजीब है दुनिया की ये दुकाँ यारो
दिल का झुकना बहुत ज़रूरी है
सर झुकाने से रब नहीं मिलता………..
उन्होंने उर्दू न समझी न पढ़ी
उनका उर्दू पे ये एहसान रहा
ऐसे हालात में कह पाना ग़ज़ल
यक़ीनन सख़्त इम्तेहान रहा