लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब
हलके से इशारे पे ही ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं…
आसमां में उड़ने की चाह रखने वाले..
कभी जमी पर गिरने की परवाह नहीं करते !!
सजा देना हमें भी आता है…
पर तू तकलीफ से गुजरे यह हमें गवारा नहीं…!!!
कोई तो है जिसकी खातिर….
उदास रहने का शौक-सा है……!!
यूं तो मेरा भी एक ठिकाना है मगर
तुम्हारे बिना लापता हो जाता हूँ मैं|
तूम सौ जाऔ केवल भाई वरना गंदगी तूम को साफ करने पडेगी|
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ,
मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं..!!!
भूलना सीखिए जनाब…..।
एक दिन दुनिया भी वही…. करने वालीहै.!!
मुस्कुराने के अब बहाने नहीं
ढूढने पड़ते तुम्हें याद
करते हैं तमन्ना
पुरी हो जाती है|
धड़कनों ने बताया
मोहब्बत आज भी उसी से है|