देहरी पर टकटकी लगाये सोच रही माँ
बच्चे छोड़ गए अब मुझे प्यार से कौन सताएगा |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
देहरी पर टकटकी लगाये सोच रही माँ
बच्चे छोड़ गए अब मुझे प्यार से कौन सताएगा |
बेगुनाह कोई नही, सबके अपने राज़ होते है…
किसी के छुप जाते है, तो किसी के छप जाते है….
कब वो ज़ाहिर होगा और हैरान कर देगा मुझे
जितनी भी मुश्किल में हूँ आसान कर देगा मुझे|
मिटटी महबूबा सी नजर आती है
गले लगाता हूँ तो महक जाती है ।।
कई आँखों में रहती है कई बांहें बदलती है,
मुहब्बत भी सियासत की तरह राहें बदलती है|
वो मोहब्बत थी इसलिए ही जाने दिया…अगर जिद होती तो अब तक बांहो में होती…
उस तस्वीर का एक हिस्सा खो गया मुझसे,
जिस तस्वीर में उस का हाथ था मेरे हाथ में.!!
कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे,
सच कहूँ वो सिर्फ कहाँ ही करते थे..
चिंगारियाँ न डाल मिरे दिल के घाव में
मैं ख़ुद ही जल रहा हूँ ग़मों के अलाव में |
वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,
हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,
डरता है दिल उनकी रुसवाई से,
और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते।।