परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में।
ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में।
ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें,
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…
उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो,
हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ,
पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज करूं…
तुम खेल चुके हो तो…
मेरा दिल वापस कर दो न अब…
नादाँ तुम भी नही
नादाँ हम भी नही
मुहब्बत का असर
इधर भी है …उधर भी है
जब से तूने हल्की हल्की बातें की हैं….
तबियत भारी भारी सी रहती है……
पाँव लटका के दुनिया की तरफ . . . .
आओ बैठे किसी सितारे पर . . . .
लाज़मी नहीं के तुझे आंखों से देखूं..
तेरी खुशबू तेरे दीदार से कम तो नहीं|
तुम मिल जाओ…..निजात मिल जाये,
रोज़ जीने से……………..रोज़ मरने से..!!