अनजाने में यूँ ही

अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे,
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे,
उनसे क्या गिला करें.. भूल तो हमारी थी
जो बिना दिलवालों से ही दिल लगा बैठे।

रोते रहे तुम भी

रोते रहे तुम भी, रोते रहे हम भी;
कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी;
ना जाने इस ज़माने को हमारे इश्क़ से क्या नाराज़गी थी;
बस समझाते रहे तुम भी और समझाते रहे हम भी।

आज यह कैसी उदासी

आज यह कैसी उदासी छाई है, तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है, टूट के रोया है फिर मेरा दिल, जाने आज किसकी याद आई है।

ये हर सुबह

ये हर सुबह इश्क के जलसे
ये हर रात जुदाई के जुलुस …
ये बेरोजगार शायर बनना
तुम्हारे नौकरी जितना आसान थोड़े है ।

जीत रहा हूँ

जीत रहा हूँ लाखो लोगो का दिल ये शायरी
करके
लेकिन लोगो को क्या पता अंदर से कितना
अकेला हूँ|