सूरज ढलते ही

सूरज ढलते ही रख दिये उस ने मेरे
होठो पर होठ … ।। दोस्तों इश्क
का रोजा था और गजब की इफ्तारी थी … !!

सब कुछ तो

सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता…

इस अजनबी दुनिया में

इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द की सैलाब हूँ मैं…….