सुबह से ढूंढ रहे थे कि कहाँ है सूरज . . .
अब नज़र आये हो तो सारा जहाँ रोशन है . . .
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुबह से ढूंढ रहे थे कि कहाँ है सूरज . . .
अब नज़र आये हो तो सारा जहाँ रोशन है . . .
उम्र निसार दूं तेरी उस एक नज़र पे;
जो तू मुझे देखे और मैं तेरी हो जाऊँ.. ।।
वक्त भी…….. कैसी पहेली दे गया…
उलझने सौ……जां अकेली दे गया….
तनहइयो के आलम की ना बात करो जनाब;
नहीं तो फिर बन उठेगा जाम और बदनाम होगी शराब |
महफ़िलों से दूर तन्हाई में बैठे हो,
कुछ यादों से लिपटे, ख्यालों में बैठें हो..
खुद ही मर जाऊँगा मै अपने वक्त पे ऐ इश्क,
तू क्यों मेरी जान का दुश्मन बना हुआ है…
जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब, हम नादान थे,
एक शाम की मुलाकात को जिंदगी समझ बैठे..
हम जिसके साथ वक्त को भूल जाते थे,
वो वक्त के साथ हमको भूल गया..
रिश्ते ऐसे बनाओ की जिसमें, शब्द कम और समझ ज्यादा हो,
झगडे कम और नजरिया ज्यादा हो..
टूट सा गया है मेरी चाहतों का वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे तो हम इजहार नहीं करते..