उसके तेवर समझना भी
आसां नहीं बात औरों की थी,
हम निगाहों में थे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसके तेवर समझना भी
आसां नहीं बात औरों की थी,
हम निगाहों में थे
दुआएं रद्द नही होती
बस बेहतरीन वक्त पे कबूल होती है…..
लालच दोनो का था…एक-दुसरे से..
उसने वक्त बिताना चाहा और मैंने जिन्दगी..
इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,
और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले
जब जब सच बोलके देखा मुह पे इंसान के,
हर वक़्त एक नया ही रंग सामने आया ।
कोई कम्बखत उछाल न दे हवा में….
अपने गालों से लग जाने दे,
एक मुठ्ठी गुलाल ही तो हूँ
जरा मुस्कुरा के देखो,
दुनिया हँसती नजर आएगी!
सज़दे कीजिये या माँगिये दुआयें,
जो आपका है ही नही वो आपका
होगा भी नही…!!
ताल्लुकात बढ़ाने हैं तो
कुछ आदतें बुरी सीख लो..
ऐब न हों..
तो लोग महफ़िलों में नहीं बुलाते
चेहरे को आज तक भी तेरा इंतज़ार है.!
हमने गुलाल और को मलने नहीं दिया..!!