हमारे इश्क की

हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं:
तुम बिछड गए.. हम बिख़र गए..
तुम मिले नहीं.. और हम किसी और के हुए नही

हर एक शख्स

हर एक शख्स ख़फ़ा,मुझसे अंजुमन में था…
क्योंकि मेरे लब पे वही था,जो मेरे मन में था…

कोई शिकायत नहीं

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं;
शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं!
मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया;
पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!