बिन तुम्हारे कभी नही आयी
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बिन तुम्हारे कभी नही आयी
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है|
ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद
हम मरेगें भी तो उस अंदाज से,
जिस अंदाज में लोग जीने को भी तरसते है।
जो कुरेद कर दिवार पे तुम्हारा नाम लिखा था,
ज़िन्दगी की सबसे लम्बी कहानी वही तो थी।
आँखों में भी कुछ सपने सो जाते हैं
सपनों में भी मुश्किल जब उनका आना लगता है
यादों को याद बना कर रख लिया
जज्बातों को तेज़ाब बना कर रख लिया
बिखरने के बहाने तो बहुत मिल जाएँगे …
आओ हम जुड़ने के अवसर खोजें..!
खत क्या लिखा…..
मानवता के पते पर
डाकिया ही गुजर गया
पता ढूढते ढूढते…..
कुछ रिश्तों के खत्म होने की वजह
सिर्फ यह होती है कि..
एक कुछ बोल नहीं पाता
और दुसरा कुछ समझ ही नहीं पाता।
सुविचारों का असर इसलिए नहीं होता
क्योंकि लिखने वाले और पढने वाले
दोनों यह समझते है की ये दूसरों के लिए है।