बस दो आँखें….

किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में.

हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें….!!

धागे की तरह

मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते..,
या तो लोहे की तरह जोड़ दे,या फिर धागे की
तरह तोड़ दे..!!

बिगङी तकदीरें..

तमाम ठोकरें खाने के बाद, ये अहसास हुआ मुझे..
कुछ नहीं कहती हाथों की लकीरें,खुद बनानी पङती हैं बिगङी तकदीरें..