मत बहा आंसुओं में जिंदगी को,
,
एक नए जीवन का आगाज़ कऱ,
,
दिखानी है अगर दुश्मनी की हद तो,
,
जिक्र भी मत कर, नज़र’अंदाज़ कर
Tag: Hindi Shayris
अब ये आलम हैं
अब ये आलम हैं कि गम कि भी खबर नहीं होती,
अश्क बह जाते हैं लेकिन आँख तर नहीं होती.!!
हद से ज्यादा खुशी
हद से ज्यादा खुशी और ..
हद से ज्यादा गम ..
कभी किसी को मत बताओ.!
.
जिंदगी में लोग..
हद से ज्यादा खुशी पर”नजर”..
और हद से ज्यादा गम पर “नमक”..
… जरुर लगाते है!.
सिखा देती हैं
दुनियादारी सिखा देती हैं मक्कारियां वर्ना पैदा तो हर कोई साफ़ दिल ही होता है…
जो भी सोचा
जो भी सोचा ,पूरी शिद्दत से किया
मैखाने से कभी मैं ,अपने पैरों पे नहीँ लौटा|
zindagii tanha hojati hai
Suraj dhalte hii ye zindagii tanha hojati hai,
Ye dil hii nhi, ye tanhaii bhi tanha hojati hai!!
इक इंसान को
ज़हर जो शंकर बनाये आपको तो खाइए
वरना इक इंसान को विषधर न होने दीजिये
आखों में आंसू
एक बुढा व्यक्ति अपना मोबाईल लेकर रिपेयरिंग की दुकान पर गया और दिखाया.
रिपेयरिंग वाले ने कहा: यह बिलकुल ठीक काम कर रहा है
वृद्ध की आखों में आंसू आ गये बोला : फिर इसमें मेरे बच्चो के फोन क्यों नही आते?
जब आंख खुली
जब आंख खुली तो अम्मा की
गोदी का एक सहारा था
उसका नन्हा सा आंचल मुझको
भूमण्डल से प्यारा था
उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था
हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्यार किया
मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी
उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्तर में सदा सहेजा था
मेरे सारे प्रश्नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी
मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया
शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया
हम भूल गये उसकी ममता
मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन
वो अमृत वाली छाती थी
हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी
हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी
हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था
हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्धन तोड. आए
बंगले में कुत्ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए
उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए
हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए
मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है
घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है
जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं
मां जिसको भी जल दे दे
वो पौधा संदल बन जाता है
मां के चरणों को छूकर पानी
गंगाजल बन जाता है
मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्नत है
गिरिजाघर और शिवाला है
हिमगिरि जैसी उंचाई है
सागर जैसी गहराई है
दुनियां में जितनी खुशबू है
मां के आंचल से आई है
मां कबिरा की साखी जैसी
मां तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली
खुसरो की अमर रूबाई है
मां आंगन की तुलसी जैसी
पावन बरगद की छाया है
मां वेद ऋचाओं की गरिमा
मां महाकाव्य की काया है
मां मानसरोवर ममता का
मां गोमुख की उंचाई है
मां परिवारों का संगम है
मां रिश्तों की गहराई है
मां हरी दूब है धरती की
मां केसर वाली क्यारी है
मां की उपमा केवल मां है
मां हर घर की फुलवारी है
सातों सुर नर्तन करते जब
कोई मां लोरी गाती है
मां जिस रोटी को छू लेती है
वो प्रसाद बन जाती है
मां हंसती है तो धरती का
ज़र्रा-ज़र्रा मुस्काता है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर
धरती को शीश झुकाता है
माना मेरे घर की दीवारों में
चन्दा सी मूरत है
पर मेरे मन के मंदिर में
बस केवल मां की मूरत है
मां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा
अनुसूया मरियम सीता है
मां पावनता में रामचरित
मानस है भगवत गीता है
अम्मा तेरी हर बात मुझे
वरदान से बढकर लगती है
हे मां तेरी सूरत मुझको
भगवान से बढकर लगती है
सारे तीरथ के पुण्य जहां
मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनके कोई सन्तान नहीं
मैं उन मांओं का बेटा हूं
हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर मां के
चरणों में ये शीश झुकाता हूं.l
दिल की क्या औकात
जब हम तुझ पे कुरबान हैं
तो दिल की क्या औकात