जा रही हूँ

जा रही हूँ मैं तेरी जिन्दगी से कभी ना फिर लौट के आने को ,
रोक लो अपने एहसासों को जो लिपट रहे मेरे कदमों से संग आने को !

दिल की गली से

दिल की गली से तो गुजरे न जाने शक्स कितने पर ,
कोई एक पल कोई दो पल कोई रुका ना उम्र भर के लिए !

नजाकत तो देखिये

नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा,

चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!

कल रात मैंने

कल रात मैंने अपने सारे ग़म,
कमरे की दीवार पर लिख डाले,
बस फिर हम सोते रहे और दीवारे रोती रही.