Shor-e-vahshat bhi nahin,
tangi-e-daaman bhi nahin
mujh par utri hai
mohabbat badi tehzeeb ke sath
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
Shor-e-vahshat bhi nahin,
tangi-e-daaman bhi nahin
mujh par utri hai
mohabbat badi tehzeeb ke sath
ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम,
पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
देश का माहौल इतना बिगड़ गया है कि आमिर खान,
शाहरूख खान को तो छोड़ीये ।।
अब तो स्वयं मोदी जी भी देश मे नही रहते.
रोज़ रोज़ रात को लिखूं ये मुमकिन नहीं….
कहकर… मेरी कलम सो गयी है रज़ाई में।
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडी है
आ ज़ा फिर से मेरे ख्यालों में….कुछ बात करते हैं….
कल जहाँ खत्म हुई थी…वहीं से शुरुवात करते हैं…!!
Wafa fitrat me nahi teri Lekin,
Yakin hum behisaab tujhpe Kartey hai aaj bhi.
Tumne dekhi hi nahi hamari phoolon si wafa
Ham jis par khilte hain usi par murjha bhi jate hain…?
वक़्त लगा था..पर संभल गया…
क्यों कि….
मैं ठोकरों से गिरा था किसी की नज़रों से नहीं…!!
ऐ खुदा इश्क़ में दोनों को मुकम्मल कर दे
उसे दीवाना बना दे….. मुझे पागल कर दे