मत पूछ के किस तरह से चल रही है जिन्दगी तेरे बिना !
उस दौर से गुजर रहे है……जो गुजरता ही नही !!
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कुछ ज्यादा ही
कुछ ज्यादा ही गिरती है ओस इन दिनों,
ये नवम्बर भी तुम्हें बहुत याद करता है !!
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई नाहो!
ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो!
आज तक उस थकान से
आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन
एक सफ़र किया था मैंने कुछ ख़्वाहिशों के साथ|
मैं शब्दों से
मैं शब्दों से कहीं ज्यादा हूँ…
इक बार सृजन करके देखो मुझे…
ज़िन्दगी और ज़िन्दगानी में फ़र्क बूझ पाओगे…
कमाल की मोहब्बत
कमाल की मोहब्बत थी उसको हम से …….
अचानक ही शुरू हुई और बिन बतायें ही ख़त्म|
हर एक दर्द को
हर एक दर्द को आंसू नहीं मिलते
गमो का भी मुक़्क़दर होता है साहेब|
अनपढ़ बन्दा हूँ
अनपढ़ बन्दा हूँ मोहतरमा,
तेरे सिवा कुछ आता ही नही…..!!
ख़त्म हुआ न समझ
तू मझे ख़त्म हुआ न समझ,
वो तीली भी आधी ही ज़ली थी जिसने जंगल ज़लाया था !
कमाल की तक़दीर
कमाल की तक़दीर पायी होगी उस शख्स ने,
जिसने तुझसे मोहब्बत भी ना की हो और तुझे पा लेगा।।