चाहने वालो को नही मिलते चाहने वाले.!
हमने हर दगाबाज़ के साथ सनम देखा है..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
चाहने वालो को नही मिलते चाहने वाले.!
हमने हर दगाबाज़ के साथ सनम देखा है..!!
दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैकड़ों से,
इन्सान का बेहतरीन होना ही गुनाह है।
इस शहर में अंधे और बहरे बसते हैं,
कैसे मान लू जलसा हुआ होगा ।।
मैरे जख़्म है कि ,दिखते नहीं,
ये मत समझिये ,की दुःखते नहीं…
खतों से तेरे पुराने, आती है वफा की खुशबू ,
ये तितली तो नही इसको उडाऊं कैसे।
बख्शे हम भी न गए बख्शे तुम भी न जाओगे,
वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना।
रिहाई दे दो मुझे तुम अपनी यादों की कफस से ,
कि तेरी यादों के कफस में दम घुटता है मेरा !!
अभी मिलन की राह में ए दिल
तन्हाइयो जरा दामन छोड़ दो….!!
रुत है सनम से,
आँखे चार करने की….!!
इश्क़ फिर हो जाने की कोशिश में है
मेरी बर्बादी में कुछ कसर बाकी होगी|
ज़रा तल्ख़ लहज़े में बात कर, ज़रा बेरुखी से पेश आ……
मै इसी नज़र से तबाह हुआ हूँ,
न देख मुझे यूँ प्यार से……