मोहब्बत बुरी है… बुरी है मोहब्बत,
कहे जा रहे है… किये जा रहे है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मोहब्बत बुरी है… बुरी है मोहब्बत,
कहे जा रहे है… किये जा रहे है…
छुपे छुपे से रहते हैं सरेआम नहीं हुआ करते,
कुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं उनके नाम नहीं
हुआ करते…..
कैसे लिखूं अपने जज्बातों को मैं,
दिल अब उस मुकाम पर है ,
कि …
अश्कों की रौशनाई सूख ही गयी है
लबों से गुफ्तगू नहीं…आँखों का कलाम अच्छा है….
इन हुस्न वालों से बस…दूर का सलाम अच्छा है..
खुद के रोने की सिसकियाँ अब सुनाई नही देती ….
हमनें आँसुओं को भी डांट कर समझा रखा है .
किसकी खातिर अब तु धड़कता है ऐ दिल..
अब तो कर आराम, कहानी खत्म हुई !
सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है..
जो सिख जाता है वही हार जाता है..
किताबें कैसी उठा लाए मय-कदे वाले,
ग़ज़ल के जाम उठाओ बड़ा अँधेरा है…
हम वही हैं,बस ज़रा ठिकाना बदल लिया है
तेरे दिल से निकलकर अब ख़ुद में रहते हैं |
महसूस कर रहें हैं तेरी लापरवाहियाँ कुछ दिनों से…
याद रखना अगर हम बदल गये तो,
मनाना तेरे बस की बात ना होगी !!