इंतज़ार की आरज़ू

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है… तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है ।

मत तरसा किसी को

मत तरसा किसी को इतना,अपनी मोहब्बत के लिये..

क्या पता तेरी ही मोहब्बत पाने के लिए, जी रहा हो कोई….