शायर होना भी

शायर होना भी कहाँ आसान है,
बस कुछ लफ़जों मे दिल का अरमान है,
कभी तेरे ख्याल से महक जाती है मेरी गज़ल,
कभी हर शब्द परेशान है….

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;

ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;

मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;

सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;

ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;

मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;

सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

जो कभी किया ना

जो कभी किया ना असर शराब ने,

वो तेरी आँखों वे कर दिया,

सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी,

मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..