कर्म भूमि पर

कर्म भूमि पर फल के किये श्रम सबको करना पड़ता है..
रब सिर्फ लकीरें देता है, रंग हमें खुद भरना पड़ता है !!

तु ही है

तु ही है जिसे हर किस्सा बताते हैं……..
वरना हमारे लब्ज सुनने को तो दुनिया बेताब है|

बहुत दिन हुए

बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी!

मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!