तड़प के देखो

तड़प के देखो किसी की चाहत में;
तो पता चले कि इंतज़ार क्या होता है;
यूँ ही मिल जाये अगर कोई बिना तड़पे;
तो कैसे पता चले के प्यार क्या होता है|

उसी का शहर

उसी का शहर,
वही खुदा और वहीं के गवाह…
मुझे यकीन था,
कुसूर मेरा ही निकलेगा |