शाम होते ही

शाम होते ही चिरागों को बुझा देता हूँ मैं…
ये दिल ही काफ़ी है तेरी याद में जल जाने के लिए…

इंतज़ार है हमे

इंतज़ार है हमे आपके आने का,
वो नज़रे मिला के नज़रे चुराने का,
मत पूछ ए-सनम दिल का आलम क्या है,
इंतज़ारा है बस तुझमे सिमट जाने का…

मेरे दिल में

मेरे दिल में
अपनी मौजूदगी का एहसास तो करके देखो
तुम्हें मुझमें सिर्फ तुम ही तुम मिलोगे ।