कितना मुश्क़िल सवाल पूछ लिया…
तुमने तो हाल चाल ही पूछ लिया…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कितना मुश्क़िल सवाल पूछ लिया…
तुमने तो हाल चाल ही पूछ लिया…
गए वो दिन कि शिकवे थे जहाँ के… अब अपना ही गिला है और मैं हूँ..
हम ज़माने से इंतक़ाम तो ले
इक हँसी दरमियान है प्यारे
खुदा जाने यह किसका
जलवा है दुनियां ए बस्ती में
हजारों चल बसे लेकिन,
वही रौनक है महफिल की।
हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ
आख़िर मेरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
जब कोई अपना मर जाता है ना साहिब…..!
फिर कब्रिस्तानों से डर नही लगता…
धुप में कौन किसे याद किया करता हैं
पर तेरे शहर में बरसात तो होती होगी
हमारा तजरबा हमको सबक़ ये भी सिखाता है
कि जो मक्खन लगाता है वो ही चूना लगाता है|
अपनी नाराज़गी कि कोई वजह तो बताई होती,
हम ज़माने को छोड़ देते एक तुझे मनाने के लिए…
फिर कभी नहीं हो सकती मुहब्बत सुना तुमने
वो शख्स भी एक था और मेरा दिल भी एक ।