जब पढ़ते थे तब भी मार्च डराता था,
अब कमाते हैं ,तब भी डराता हैं।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब पढ़ते थे तब भी मार्च डराता था,
अब कमाते हैं ,तब भी डराता हैं।
कोई झंकार है, नग़मा है, सदा है क्या है ?
तू किरन है, के कली है, के सबा है, क्या है ?
तेरी आँख़ों में कई रंग झलकते देख़े
सादगी है, के झिझक है, के हया है, क्या है ?
रुह की प्यास बुझा दी है तेरी क़ुरबत ने
तू कोई झील है, झरना है, घटा है, क्या है ?
नाम होटों पे तेरा आए तो राहत-सी मिले
तू तसल्ली है, दिलासा है, दुआ है, क्या है ?
होश में लाके मेरे होश उड़ाने वाले
ये तेरा नाज़ है, शोख़ी है, अदा है, क्या है ?
दिल ख़तावार, नज़र पारसा, तस्वीरे अना
वो बशर है, के फ़रिश्ता है, के ख़ुदा है, क्या है ?
बन गई नक़्श जो सुर्ख़ी तेरे अफ़साने की
वो शफ़क है, के धनक है, के हिना है, क्या है ?
छोड़ा हाथ उसने सरे-राह बस ये कहते हुये,
घर मे बरकत नहीं होती पुरानी चीज़ों के रहते हुये…
मुझे तो पहले से ही यकीन
था तेरी फितरत पर,बस तेरा नज़रें फेर के
जाते हुए देखना बाकी था|
मुझको मेरी शक्ल आज लग रही है अजनबी..
ना जाने कौन मेरे घर के आईने बदल गया…!!
गलत निकलेगा तेरा अन्दाजा।
वक़्त मेरा भी सही आयेगा ।।
ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है, सब कहते थे।
जिस दिन तुझे देखा, यकीन भी हो गया।
सोच समझकर बर्बाद करना मुझे,
बहुत प्यार से पाला है मेरी माँ ने मुझे !!
मेरी गलती करने की आदत नहीं फिर भी करता हूँ,
क्योंकि अच्छा लगता है तेरा प्यार से समझाना..!
कल रात मौत आयी थी
गुस्से मेँ बोली
“जान ले लुंगी तेरी.. ”
मैने भी कह दिया:
जिस्म ले जाओ, .
“जान” तो
“दोस्तों” के पास हैं..!!