हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं,
पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं,
पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|
बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका,
वो लोग जो अन्दर से मर जाते है…
दो लब्ज़ क्या लिखे तेरी याद मे..
लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
तू पंख ले ले और मुझे सिर्फ हौंसला दे दे,
फिर आँधियों को मेरा नाम और पता दे दे !!
उसके तेवर समझना भी
आसां नहीं बात औरों की थी,
हम निगाहों में थे
क्यों बताये किसी को हाले दिल अपना,
जो तूने बनाया वही हाल है अपना ।।
तेरा अक्सर यूँ भूल जाना मुझको
अगर दिल ना दिया होता तो तेरी जान ले लेते…!!
एक रूह है..
जैसे जाग रही है.. एक उम्र से… ।एक जिस्म है..
सो जाता है बिस्तर पर.. चादर की तरह… ।।
अगर फुर्सत के लम्हों मे आप मुझे याद करते हो तो अब मत करना..
क्योकि मे तन्हा जरूर हुँ, मगर फिजूल बिल्कुल नही.
दर्द बहुत वफ़ादार होता है…
काश इसे देने वाले में भी ये बात होती…