बारिश के बाद रात आईना सी थी,
एक पैर पानी मे रखा तो चाँद हिल गया.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बारिश के बाद रात आईना सी थी,
एक पैर पानी मे रखा तो चाँद हिल गया.
अब कौन से मौसम से कोई आस लगाए,
बरसात में भी याद जब न उनको हम आए।
ये बारिश भी तुम सी है,
जो थम गई तो थम गई।।
जो बरस गई तो बरस गई,
कभी आ गई यूँ बेहिसाब।।
कभी थम गई बन आफताब,
कभी गरज गरज कर बरस गई ।।
कभी बिन बताये यूँ ही गुज़र गई
कभी चुप सी है कभी गुम सी है
ये बारिश भी सच… तुम सी है…!!