बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नही थी,
लेकिन समय सबके पास था।
आज सबके पास घड़ी है पर समय नहीं।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नही थी,
लेकिन समय सबके पास था।
आज सबके पास घड़ी है पर समय नहीं।
इतनी चाहत तो लाखो रुपये पाने की भी नही होती..!!
जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती हैं..!!
काश पलट के पहुंच जाऊ फिर से वो बचपन की वादियों में,
ना कोई जरुरत थी ना कोई जरुरी था….
झूठ बोलते थे कितना,फिर भी सच्चे थे
हम.. ये उन दिनों की बात है,जब बच्चे थे हम…!!
एक दो रूपये देकर किराए की साइकिल चलाने का सुख,
तुम क्या जानो पल्सर वाले बाबू।
न सफारी में नज़र आयी और
न ही फरारी मेँ……
जो खुशी बचपन मेँ साइकिल की
सवारी में नज़र आयी।
बचपन भी कमाल का था।
खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर,
आँख बिस्तर पर ही खुलती थी ..!!