जो नहीं है

जो नहीं है पर दिखाई देता है ,वह

संसार है,

जो है पर दिखाई नहीं देता, वह परमात्मा है।

खुद पर भरोसा

खुद पर भरोसा करने का हुनर सीख लो,
सहारे कितने भी सच्चे हो एक दिन साथ छोड़ ही जाते हैं..

बुझने लगी हो

बुझने लगी हो आंखे तेरी, चाहे थमती हो रफ्तार
उखड़ रही हो सांसे तेरी, दिल करता हो चित्कार
दोष विधाता को ना देना, मन मे रखना तू ये आस
“रण विजयी” बनता वही, जिसके पास हो “आत्मविश्वास”

फरेबी भी हूँ

फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!!

मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!

तुम्हारा दीदार और

तुम्हारा दीदार और वो भी आँखों में आँखें डालकर….!
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उफ्फ्फ्फ्फ़…..
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ये कशिश कलम से बयाँ करना भी मेरे बस की बात
नही….!!